घर पर बहती नाक को नियंत्रित करने के घरेलू उपायो
प्रस्तावना :
बहती नाक टपकते नल की तरह होती हैं। ऐसी स्तिथि में बलगम सामान्य से अधिक बहता हैं, अक्सर एलर्जी, सर्दी, या संक्रमण जैसी स्तिथियों में जलन के कारण। नाक बहना स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा हो सकता हैं। एक तरह से यह आपके शरीर के अलार्म सिस्टम की तरह हैं। यह एक संकेत हैं कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली श्वसन मार्ग से कीटाणुओं या जलन पैदा करने वाले तत्वों को बाहर निकालने के लिए काम कर रहा हैं। तो उस अर्थ से यह अच्छा हैं क्योंकि यह आपके शरीर को अवांछित चीज़ों से छुटकारा पाने में मदद करता हैं। हालांकि यह आपके घर में टपकते नल की तरह असुविधाजनक और कष्टप्रद हो सकता हैं। इसलिए इससे निपटना अप्रिय हो सकता हैं। आइये इस आलेख में बहती नाक की इस अप्रिय समस्या को रोकने के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपचारों के बारे में जानें!
क्षतिशून्य बहती नाक बनाम चिंताजनक बहती नाक :
किसी भी घरेलू उपचार को शुरू करने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि बहती नाक की समस्या चिंताजनक नहीं हैं और इसके लिए चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता भी नहीं हैं। यदि हम साधारण बहती नाक की समस्या की पहचान कर सकें तो हम राहत पाने के लिए आत्मविश्वास से घरेलू उपचार का सहारा ले सकते हैं। निम्नलिखित तरीके हमें साधारण बहती नाक का पता लगाने में मदद कर सकते हैं:
क्षतिशून्य बहती नाक दीर्घकालिक नहीं होता।
साधारण बहती नाक आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहता हैं जो अक्सर ठंड के मौसम या एलर्जी जैसे कारकों से शुरू होता हैं। यदि यह 10-14 दिनों से अधिक समय तक बना रहे तो यह साइनस संक्रमण या एलर्जी जैसी अंतर्निहित समस्या का संकेत दे सकता हैं जिसके लिए चिकित्सकीय ध्यान की आवश्यकता पड़ सकती हैं।
लक्षणों पर ध्यान दे :
आमतौर पर बहती नाक के साथ बलगम भी मौजूद होता हैं। साथ ही साथ छींक या नाक में खुजली भी हो सकती हैं। यदि नाक बहने के साथ गाढ़ा, पीला या हरा बलगम, चेहरे पर दर्द या दबाव, बुखार या खांसी हो तो यह साइनसाइटिस जैसे जीवाणु संक्रमण का संकेत हो सकता हैं।
कोई भी अन्य लक्षण यह नहीं दर्शाता कि यह हानिकारक हैं।
यदि बहती नाक बुखार, शरीर में दर्द, या गंभीर जमाव जैसे अन्य लक्षणों के बिना ही उपस्थित हो तो यह संभवतः हानिरहित हैं। हालांकि भले ही शुरू में कोई अन्य लक्षण न हों परन्तु नाक बहती रहे और समय के साथ सुधरने के बजाय बिगड़ जाए तो अंतर्निहित स्थितियों से निपटने के लिए चिकित्सकीय सलाह लेना उत्तम हैं।
मूल कारण जाने।
यदि आपको लगता हैं कि आपकी नाक फूल के पराग, धूल, या तापमान में परिवर्तन जैसे विशिष्ट कारकों के कारण बहती हैं तो यह संभवतः चिंता का कारण नहीं हैं। हालांकि यदि नाक बहने के साथ चेहरे पर गंभीर सूजन या सांस लेने में कठिनाई हो तो यह गंभीर जीवन-घातक एलर्जी प्रतिक्रिया (एनाफिलेक्सिस) का संकेत दे सकता हैं। ऐसी स्तिथि में तुरंत चिकित्सकीय परामर्श ले।
सुधार के प्रति सचेत रहें।
साधारण बहती नाक को धीरे-धीरे अपने आप या घरेलू उपचार या ओवर-द-काउंटर दवाओं से ठीक किया जाना चाहिए। यदि घरेलू उपचार आजमाने के बाद भी कोई सुधार नहीं होता हैं और नाक का बहना जारी रहता हैं या बिगड़ जाता हैं; या यदि गंभीर सिरदर्द, विभ्रान्ति, या गर्दन में अकड़न जैसे नए लक्षण उपस्थित हो तो यह अधिक गंभीर अंतर्निहित स्थितियों का संकेत दे सकता हैं। ऐसी स्तिथि में तुरंत किसी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
कुछ घरेलू उपाय लाभदायक हो सकते हैं!
1.नीलवेम्बु कशायम :
2 कप पानी में 1 बड़ा चम्मच निलावेम्बु (एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा) की पत्तियाँ या पाउडर उबालें। 10-15 मिनट तक धीमी आंच पर पकाए जब तक कि पानी का स्तर आधा न हो जाए। घोल को छान लें और इसे ठंडा होने दें। दिन में दो बार खाली पेट एक कप निलावेम्बु कशायम का सेवन करें।
निलावेम्बु कशायम अपने ज्वरनाशक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता हैं जिससे बहती नाक और अन्य श्वसन समस्याओं के लक्षण कम हो जाते हैं।
2.अदरक वाली चाय :
एक कप पानी उबालें और उसमें ताज़े अदरक के कुछ टुकड़े डालें। 5-10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाए। तत्पश्च्यात इसे छान लें और स्वादानुसार शहद मिलाए। बंद नाक को साफ़ करने और बहती नाक से राहत पाने के लिए इस अदरक वाली चाय का सेवन दिन में 2-3 बार करें।
अदरक में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जिनमें सूजनरोधी और रोगाणुरोधी गुण हैं। ये नाक की सूजन को कम करने और नाक बहने का कारण बनने वाले संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
3.नीलगिरी का तेल डालकर भाप ले :
एक बर्तन में पानी उबालें। इसमें यूकेलिप्टस एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें मिलाए। भाप को रोकने के लिए अपने सिर को तौलिये से ढककर बर्तन के ऊपर झुकें। 5-10 मिनट तक गहरी सांस के साथ भाप लें। नासिका मार्ग को साफ़ करने और जमाव से राहत पाने के लिए इस प्रक्रिया को दिन में 2-3 बार दोहराएँ।
नीलगिरी के तेल में मेन्थॉल और सिनेओल होता हैं जिनमें डेकॉन्जेस्टन्ट गुण होते हैं और ये अवरुद्ध नासिका मार्ग को खोलने में मदद कर सकते हैं। इससे सांस लेना आसान हो जाता हैं।
4.त्रिफला चूर्ण :
एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाए। पाउडर घुलने तक उसे अच्छी तरह मिलाए। प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और श्वसन स्वास्थ्य में सुधार के लिए इस त्रिफला घोल को रोजाना सुबह खाली पेट पियें।
त्रिफला श्वसन पथ को साफ करने, सूजन को कम करने, और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता हैं जिससे बहती नाक के लक्षणों से राहत मिलती हैं।
5.नेति पॉट इस्तेमाल करें :
एक कप गुनगुने आसुत या उबले हुए पानी में 1/4 चम्मच गैर-आयोडीनयुक्त नमक मिलाए। एक नेति पॉट में इस खारे घोल को भरें। अपने सिर को सिंक के ऊपर एक तरफ झुकाएँ। नेति पॉट की टोंटी को एक नथुने में डालें। खारे पानी के घोल को धीरे-धीरे नाक में डालें, जिससे यह दूसरे नासिका छिद्र से बाहर निकल सके। दूसरी तरफ दोहराएं। नासिका मार्ग से बलगम और एलर्जी पैदा करने वाला तत्वों को बाहर निकालने के लिए प्रतिदिन एक बार नेति पॉट का इस्तेमाल करें।
खारे पानी का घोल नाक के मार्ग को नमीयुक्त और साफ़ करने में मदद करता हैं और बलगम और जलन को कम करता हैं। इससे जमाव और बहती नाक से राहत मिलती हैं।
6.हल्दी वाला दूध :
एक कप दूध गर्म करें। इसमें आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाए। इच्छानुसार एक चुटकी काली मिर्च भी डाल सकते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने और नाक की सूजन को कम करने के लिए सोने से पहले इस हल्दी वाले दूध को पियें।
हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता हैं जो मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से संपन्न एक यौगिक हैं। यह नाक की सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकता हैं।
निष्कर्ष :
घरेलू उपचार उन सैनिको की तरह हैं जो हमारे स्वास्थ्य को सर्दी और अन्य सामान्य बीमारियों से बचाते हैं। लेकिन अगर आक्रमणकारी (बदतर लक्षण) घुसपैठ करते हैं और लड़ाई को लंबा खींचते हैं, तो युद्ध (गंभीर बीमारी) शुरू होने से पहले ही बेहतर मदद मांगना ही उचित कदम होता हैं। इसलिए जहाँ घरेलू उपचार आज़माने में कोई बुराई नहीं हैं, वही जब बहती नाक के समस्या में कोई फर्क नहीं पड़ता हैं तब तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना ही सही होता हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
1.क्या इन घरेलू उपचारों का उपयोग शिशुओं के लिए किया जा सकता हैं?
शिशुओं की नाजुक शारीरिक गठन के अनुरूप सुरक्षित उपचार के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना ही उचित होता हैं। शिशुओं पर प्रयोग न करें।
2.क्या इन घरेलू उपचारों का दुष्प्रभाव हो सकता हैं?
हालांकि घरेलू उपचार आमतौर पर सुरक्षित होता हैं, कुछ व्यक्तियों को प्रतिकूल प्रतिक्रिया का अनुभव हो सकता हैं। यदि लक्षण बिगड़ जाए तो तुरंत उपचार बंद कर दें और डॉक्टर से परामर्श करें।
3.क्या मौजूदा बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को ये घरेलू उपचार आज़माने चाहिए?
अस्थमा जैसी बिमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को संभावित जटिलताओं से बचने के लिए घरेलू उपचार आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
4.किन घरेलू उपचारों से बचना उचित हैं?
किसी भी अजीब, अपरिचित स्व-उपचार से बचें। कुछ नुस्खे स्थितियों को बिगाड़ सकते हैं।